नेपाल के लोगों की जमा भीड़ का सब्र टूट गया। चार युवक नेपाल जाने के लिए काली नदी में कूद गए। तीन तैरकर सुरक्षित नेपाल पहुंचे गए। वहीं एक पुलिस के डर के वापस लौट गया।
तीनों को पकड़कर नेपाल पुलिस जांच के लिए ले गई। धारचूला झूलापुल के पास अब नेपाल के लोगों की संख्या बढ़कर 800 लगभग हो चुकी है। पुल बंद होने से इन लोगों में नेपाल सरकार के प्रति आक्रोश है।
गेट खुलने की कोई उम्मीद नहीं है। पुलिस और एसएसबी नेपाल के लोगों की भीड़ की गतिविधियों पर नजर रखे हैं। प्रशासन ने व्यापार संघ सहित अन्य संगठनों की मदद से भोजन की व्यवस्था की गई है।
तीनों को पकड़कर नेपाल पुलिस जांच के लिए ले गई। धारचूला झूलापुल के पास अब नेपाल के लोगों की संख्या बढ़कर 800 लगभग हो चुकी है। पुल बंद होने से इन लोगों में नेपाल सरकार के प्रति आक्रोश है।
गेट खुलने की कोई उम्मीद नहीं है। पुलिस और एसएसबी नेपाल के लोगों की भीड़ की गतिविधियों पर नजर रखे हैं। प्रशासन ने व्यापार संघ सहित अन्य संगठनों की मदद से भोजन की व्यवस्था की गई है।
दिल्ली से रुद्रपुर 12 हजार में और रुद्रपुर से भीमताल पैदल पहुंचे चार युवक
दिल्ली के न्यू अशोक नगर से रविवार की रात अल्मोड़ा जिले के ग्राम उनयूडा और लमगढ़ा निवासी मोहित अधिकारी, राकेश अधिकारी, कमल अधिकारी और अमित बिष्ट रुद्रपुर तक 12000 की ट्रैक्सी कर रात एक बजे पहुंचे।
जहां से चारों युवक सोमवार की दोपहर 12.30 बजे रुद्रपुर से पैदल भीमताल पहुंचे। जहां चारों युवकों ने दिल्ली से भीमताल तक पहुंचने में हुई समस्या से अवगत कराया। मोहित ने बताया कि लॉकडाउन के चलते कंपनियों के बंद होने के चलते उन्हें वापस गांव लौटने को मजबूर होना पड़ा।
उन्होंने बताया कि रुद्रपुर तक बड़ी मुश्किल तक ट्रैक्सी से पहुंचे। लेकिन वहां से आगे वाहन न मिलने से पैदल हल्द्वानी आना पड़ा। हल्द्वानी के काठगोदाम पुलिस ने तीन घंटे बैठा दिया। जहां उन्हें वाहन से भेजने की बात कहीं गई, लेकिन वाहन न मिलने पर वापस उन्हें पैदल चले जाने को कहा गया। जहां से सभी युवक थके हारे भीमताल पहुंचे। भीमताल में मददगारों ने उन्हें भोजन कराया।
जहां से चारों युवक सोमवार की दोपहर 12.30 बजे रुद्रपुर से पैदल भीमताल पहुंचे। जहां चारों युवकों ने दिल्ली से भीमताल तक पहुंचने में हुई समस्या से अवगत कराया। मोहित ने बताया कि लॉकडाउन के चलते कंपनियों के बंद होने के चलते उन्हें वापस गांव लौटने को मजबूर होना पड़ा।
उन्होंने बताया कि रुद्रपुर तक बड़ी मुश्किल तक ट्रैक्सी से पहुंचे। लेकिन वहां से आगे वाहन न मिलने से पैदल हल्द्वानी आना पड़ा। हल्द्वानी के काठगोदाम पुलिस ने तीन घंटे बैठा दिया। जहां उन्हें वाहन से भेजने की बात कहीं गई, लेकिन वाहन न मिलने पर वापस उन्हें पैदल चले जाने को कहा गया। जहां से सभी युवक थके हारे भीमताल पहुंचे। भीमताल में मददगारों ने उन्हें भोजन कराया।